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Thursday, March 15, 2012

डिप्टी कलेक्टर नीतीश जनार्दन ठाकुर 118 करोड़ रुपए की संपत्ति!

शैलेश कुमार Thursday March 15, 2012

अलीबाग (मुंबई ). राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 118 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक एक डिप्टी कलेक्टर को गिरफ्तार किया है। रायगढ़ जिले में पदस्थ रहे नीतीश जनार्दन ठाकुर पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप है। 

एसीबी ने ठाकुर के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की। उसे बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी संपत्ति की कीमत 118.39 करोड़ रुपए आंकी गई है। अलीबाग में 36 वर्षीय ठाकुर 1988 से 2010 के बीच पदस्थ रहा है। उसे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते दो साल पहले सस्पेंड कर दिया गया था। 

महाराष्ट्र हाऊसिंग एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी (Mhada) के निलंबित डिप्टी कलेक्टर नीतीश जनार्दन ठाकु के विले पार्ले स्थित डुप्लेक्स पर बुधवार की सुबह एंटी करप्शन ब्यूरो ने रेड डाली. उसने अधिकारियों को अंदर नहीं जाने दिया. आखिरकार ब्यूरों के अधिकारिओं ने विले पार्ले पुलिस को बुलाया. तीन घंटे तक चले ड्रामे के बाद ब्यूरो के अधिकारी अंदर जा सके. 

एंटी करप्शन ब्यूरो के मुताबिक विले पार्ले में दो डुप्लेक्स फ्लैट के अलावा कांदिवली, बोरीवली, अंधेरी, घाटकोपर, अलीबाग, मुरुड, कोलेगांव और चिकली में उसके पास 11 फ्लैट्स और चार बंगले सहित कुल 26 संपत्ति है जिनकी कीमत 118 करोड़ से अधिक है. ठाकुर ने यह संपत्ति महज 12 साल की सरकारी नौकरी में जमा की है. Nav Bharat Times 

Sunday, March 4, 2012

एक बड़ी बाधा है भ्रष्टाचार

बिमल जालान, लेखक
भारत में भ्रष्टाचार का सबसे घृणित पहलू यह नहीं है कि यहां भ्रष्टाचार है, बल्कि यह है कि यह भारतीय जीवन में एक अपरिहार्य लक्षण के रूप में दूर-दूर तक स्वीकृत है.
अनादि काल से भ्रष्टाचार सभी समाजों में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है. दो हजार साल पहले कौटिल्य ने पहले-पहल अपने अर्थशास्त्र में कुछ हद तक इस पर चर्चा की.
फिर भी भ्रष्टाचार व्यापक रूप से नैतिक और सदाचार की दृष्टि से निंदनीय था, हालांकि इसकी मौजूदगी अभिज्ञात थी. हाल के वर्षो में भ्रष्टाचार का यह नजरिया धीमें, अति सूक्ष्म मगर निश्चित परिवर्तन से गुजरा प्रतीत होता है. भारत के प्रजातंत्र और इसके शासन के ढांचे के एक अनिवार्य घटक के रूप में अब भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करने का माद्दा ज्यादा है.
राजनीतिक स्तर पर माना जाता है कि पार्टियों और राजनीतिज्ञों में भ्रष्टाचार अपरिहार्य हो गया है क्योंकि चुनाव खर्चीले हो गए हैं और इन्हें लड़ने के लिए पैसा जुटाना पड़ता है. समान रूप से अत्याधिक व्याप्त नौकरशाही भ्रष्टाचार के बचाव में यह तर्क दिया जाता है कि भारत में लोक सेवकों को पर्याप्त वेतन नहीं मिलता या यह कि ऐसा भ्रष्टाचार ‘सर्वव्यापी घटना’ है.
भ्रष्ट नौकरशाही के लिए आजकल दी जाने वाली भारत की बचाव दलीलें उसी तरह हैं जैसी 1980 में युगांडा में दी जाती थीं; जब युगांडा को खुले तौर पर संसार में सबसे भ्रष्ट देश माना जाता था. तक ये दिए जाते थे कि लोक सेवक अपनी नौकरी में बने रहने के लिए या तो अपनी नैतिकता, कार्य और कर्तव्यनिष्ठा के मापदंड छोड़ दें या फिर ईमानदार बने रहकर नौकरी गंवाए. उसने नौकरी में बने रहने को चुना.
भारत में छोटे और बड़े निगमों ने भी बचे रहने और तरक्की के लिए भ्रष्टाचार में सक्रिय रूप से शामिल होने को इन आधारों पर चुना कि अपने काम को पूरा करने के लिए यही एकमात्र रास्ता है. रोचक रूप से, भारत में कारोबार में भ्रष्टाचार संभवत: जितना आंतरिक (यानी एक निजी खरीदार, निजी विक्रेता और वित्तदाता के बीच) है, उतना ही बाहरी (यानी निजी फर्म और सरकार के बीच) भी है. आम आदमी या औरत को भी भ्रष्टाचार में शामिल होना पड़ता है क्योंकि अगर उसको राशन कार्ड, लाइसेंस, अनुज्ञप्ति या कोई पंजीकरण लेना है तो यहां इसके सिवाय और कोई विकल्प नहीं है.
एक आवश्यक बुराई के रूप में इसकी व्यापक स्वीकृति के अलावा गंभीर चिंता का अन्य क्षेत्र है, सरकारी पदानुक्रम के विभिन्न स्तरों- निर्वाचित राजनीतिज्ञ, उच्च अधिकारी वर्ग और निचले अधिकारी वर्ग में भ्रष्टाचार का परस्पर गुंफन या उध्र्वाधर एकीकरण. यह सामान्य धारणा अब मान्य नहीं है कि उच्च स्तरों पर बैठे हुए प्रत्येक मुखिया यह सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं कि उनके अधीनस्थ सत्यनिष्ठा से आचरण करेंगे. ऐसी स्थिति में जब मुखिया और एजेंट भ्रष्टाचार के लिए आपस में सांठ-गांठ कर लेते हैं तो इससे जूझने की समस्या और अधिक असाध्य हो गई है. कार्यपालक शाखा के विभिन्न स्तरों पर उध्र्वाधर भ्रष्टाचार के साथ भ्रष्टाचार का समस्तरीय फैलाव विधायिका, न्यायपालिका के अंगों, मीडिया के साथ स्वतंत्र पेशों सहित अन्य सार्वजनिक संस्थानों तक है.
इसने भ्रष्टाचार की रोकथाम और नियंत्रण को कहीं ज्यादा मुश्किल बना दिया है. भ्रष्टाचार का राजनीतिकरण एक अन्य अशुभ घटना रही, मानो ये सब अभी कम था. समस्या से जूझने की गंभीर मंशा के बिना ही बराबर भ्रष्टाचार के मामलों को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. इसने भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों का राजनीति में प्रवेश सुगम बना दिया है. जनता अब नहीं जानती किसका विश्वास करे-अभियोक्ता का या अभियुक्त का.
उन्नति, विकास और गरीबी उन्मूलन में भ्रष्टाचार एक बड़ी बाधा है. शोध बताते हैं कि भ्रष्टाचार उत्पादकता को कम करता है, निवेश को निम्न करता है, राजस्व संबंधी क्षय का कारण बनता है और कार्यकुशलता को दुर्बल बनाता है. भ्रष्टाचार के ये विपरीत प्रभाव, भारत के राजनीतिक और वैधानिक संस्थानों या इसकी जनता द्वारा सामान्यत: पहचाने नहीं गए हैं. राज्य की भूमिका को पुन: परिभाषित करके और इसके शासन ढांचे में सुधार के माध्यम से भ्रष्टाचार की आपूर्ति और मांग दोनों को कम करने की आवश्यकता है.
(संपादित लेखांश ‘भारत का भविष्य’ से साभार), ०४.०३.१२ स्त्रोत : समय लाइव

पट्टे की मिसल बनाने की एवज में ग्राम सचिव रिश्वत लेते गिरफ्तार

भीलवाड़ा। आमली ग्राम पंचायत व पीपली ग्राम पंचायत के कार्यवाहक सचिव को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पट्टे की मिसल बनाने की एवज में बिचौलियों से 7 हजार रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भीमसिंह बीका ने बताया कि शुक्रवार शाम सूचना मिली कि ग्राम पंचायत सचिव लखन लाल शर्मा ने कुम्हारिया निवासी महादेव उर्फ शंकरलाल पिता भैरूलाल गुर्जर से पट्टे की मिसल बनाने की एवज में 7 हजार रूपए की राशि कुम्भा सर्किल स्थित शिव शक्ति कॉफी सेन्टर पर संचालक श्यामलाल सुवालका को देने की बात कही। इस पर एसीबी की टीम ने इसे गंभीरता से लेते हुए बिचौलिये की कुम्भा सर्किल स्थित शव शक्ति कॉफी सेन्टर नामक दुकान पर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर एसीबी कार्यालय पर लाकर रात भर पूछताछ की और सचिव की रिश्वतखोरी का भांडा फूट गया। SUNDAY, 04 MARCH 2012 03:१९ स्त्रोत : प्रात: काल

Saturday, March 3, 2012

नवआरक्षक से रिश्वत लेते पुलिसकर्मी भँवरसिंह मीणा को धरदबोचा!

देवास , शनिवार, 3 मार्च 2012( 00:36 IST ) पुलिस में भर्ती हुए नव आरक्षक से रिश्वत माँगना एक पुलिसकर्मी को महँगा पड़ गया। फरियादी ने मामले की शिकायत उज्जैन रेंज के आईजी से कर दी। लोकायुक्त के दल ने शुक्रवार को रिश्वत लेते पुलिसकर्मी को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक डीआरपी लाइन देवास में पदस्थ आरक्षक भँवरसिंह मीणा ने हाल ही में आरक्षक बने जितेंद्र पाटीदार से कहा कि तुम्हारी भर्ती मैंने करवाई है, इसलिए मुझे दो लाख रुपए दो। जितेंद्र ने उज्जैन रेंज के आईजी उपेंद्र जैन को इसकी शिकायत की। इस पर आईजी ने लोकायुक्त उज्जैन के एसपी अरुण मिश्रा को जाँच का जिम्मा सौंपा। शुक्रवार को लोकायुक्त की योजनानुसार जितेंद्र ने फोन कर भँवरसिंह को माता टेकरी पर पैसे लेने के लिए बुलाया। वहाँ पहुँचे भँवरसिंह ने जैसे ही जितेंद्र से दस हजार रुपए लिए, लोकायुक्त पुलिस ने उसे रंगेहाथों पकड़ लिया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले को जाँच में लिया गया। हालाँकि देवास पुलिस अधीक्षक अनिल शर्मा का कहना है कि अभी तक उनके द्वारा दोषी आरक्षक पर किसी पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। लोकायुक्त द्वारा मामले से संबंधित दस्तावेज दिए जाने पर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रकरण दर्ज किया है 
'जितेंद्र पाटीदार नामक नवआरक्षक ने आईजी से शिकायत की थी। शुक्रवार को दल देवास गया था। वहाँ आरक्षक भँवरसिंह मीणा को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया है। -अरुण मिश्रा, एसपी लोकायुक्त उज्जैन| स्त्रोत : वेब दुनिया

Friday, March 2, 2012

भ्रष्‍टाचार का समंदर बना मध्‍य प्रदेश!

भोपाल. मध्‍य प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्‍त का शिकंजा कसता जा रहा है। इंदौर स्थित सेंट्रल जेल के अधीक्षक पुरुषोत्‍तम सोमकुंवर के भोपाल और इंदौर स्थित ठिकानों पर छापे के दौरान 15 करोड़ से अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ है।
प्रदेश में एक साल में ऐसे ही भ्रष्‍ट अधिकारियों के घर से करीब 550 करोड़ रुपये मिले हैं। इनमें से केवल तीन को ही सजा हुई है। बाकी अधिकारियों को या तो निलंबित किया गया है, या फिर उनका तबादला किया गया है। कुछ के खिलाफ अब भी जांच चल रही है, इस तरह उनकी नौकरी बची हुई है।
जेल अधीक्षक की संपत्ति
जेल अधीक्षक सोमकुंवर के घरों से कुल 7.65 लाख रुपए और लॉकर से 12 हजार रुपए नकद मिले है। वह लंबे समय तक भोपाल में तैनात रहे। कुछ समय ग्वालियर में भी रहे। लोकायुक्त इंदौर के एसपी वीरेंद्र सिंह के अनुसार भोपाल में सोमकुंवर के चार मकान हैं। इनमें चूना भट्टी में दो, एक कोलार रोड पर और एक इंद्रपुरी में है। इंद्रपुरी वाले मकान में गर्ल्‍स हॉस्टल संचालित होता है।
सोमकुंवर के दोनों शहरों में सात बेशकीमती भूखंड मिले हैं। इनमें से पांच भोपाल और दो इंदौर में हैं। करीब 14 एकड़ कृषि भूमि का भी पता चला है। छापे में 50 लाख का घरेलू सामान, अकेले इंदौर की बैंक में जमा 75 लाख रुपए का भी पता चला है। भोपाल में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की टीटी नगर शाखा से लॉकर में 2 लाख रुपए के जेवर 12 हजार रुपए नकद मिले हैं। इंदौर में बैंक ऑफ महाराष्ट्र शाखा पलासिया में एक लॉकर के भी दस्तावेज मिले जिसे शुक्रवार को अधीक्षक की पत्नी की मौजूदगी में खोला जाएगा।
लोकायुक्त पुलिस के अनुसार सोमकुंवर के पास स्वर्णाभूषण सहित दस्तावेज के मान से पांच करोड़ और वर्तमान गाइड लाइन के मान से 15 करोड़ की संपत्ति मिली है।
Source: dainikbhaskar.com | Last Updated 11:40(02/03/12) स्त्रोत : दैनिक भास्कर

Sunday, January 22, 2012

कांस्टेबल दुर्गा शंकर शर्मा रिश्वत लेते गिरफ्तार, थानाधिकारी श्यामलाल गुर्जर के कहने पर ली थी रिश्वत

चित्तौडग़ढ़। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की झालावाड़ इकाई द्वारा भैंसरोडग़ढ़ पुलिस थाना के एक कांस्टेबल को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जिसने थानाधिकारी के कहने पर यह रिश्वत ली थी। थानाधिकारी को आरोपी बनाया गया है।

जानकारी के अनुसार, भैंसरोडग़ढ़ थानान्तर्गत भवानीपुरा नि. मुकेश धाकड़ की टर्बो ट्रक का पुलिस द्वारा गत दिनों चालान बनाए जाने पर मुकेश ने न्यायालय से यह ट्रक रिलीज करवा दिया। ट्रक छुड़ाने के लिए भैंसरोडग़ढ़ पुलिस थाना के चक्कर लगाए जाने पर थानाधिकारी श्यामलाल गुर्जर ने मुकेश को पुलिस थाना की जीप में कम्पनी की बैट्री डलवाने को कहा। इस पर मुकेश ने कम्पनी की बैट्री महंगी होने की वजह से अन्य बैट्री डलवाने की बात कहते हुए पुलिस से पीछा छुड़ाना चाहा, लेकिन इसके लिए उससे 3500 रूपए की मांग की गई।

इस पर मुकेश द्वारा यह जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की झालावाड़ इकाई के उप अधीक्षक विनोद गांधी को दिए जाने पर इस शिकायत का सत्यापन करवाया गया।

सत्यापन के बाद प्रार्थी रिश्वत की राशि थानाधिकारी को देने के लिए शनिवार को जब पुलिस थाना पहुंचा तो वहां थानाधिकारी के नहीं मिलने पर उनसे हुई बातचीत के आधार पर यह राशि जीप चालक कांस्टेबल दुर्गा शंकर शर्मा को दे दी गई। इसी दौरान ब्यूरो की टीम ने वहां पहुंच कर कांस्टेबल को रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। थानाधिकारी को इस प्रकरण में आरोपी बनाया गया है।-Prathkal, SUNDAY, 22 JANUARY 2012

जेईएन मलखान सिंह के यहां मिली करोड़ों की संपत्ति

बांसवाड़ा. जलसंसाधन विभाग के एक जेईएन के घर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों ने शनिवार को छापा मार कर करोड़ो की संपत्ति जब्त की। दिनभर चली जांच में करोड़ो रु. की संपत्ति व भूखंडों संबंधी इकरार नामे के कागजात मिले। 

विभाग के आईजी टी सी डामोर के निर्देश पर धरियावाद में जल संसाधन विभाग के जेईएन मलखान सिंह के बांसवाड़ा स्थित निवास पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गोयल के नेतृत्व में दल पहुंचा और उन्होंने छापे की कार्रवाई प्रारंभ की। जांच दल ने मलखान सिंह के लिंक रोड स्थित पुल के समीप स्थित राज इंटरप्राइजेज, राज फर्नीचर, राज सर्विस सेंटर प्रतिष्ठानों पर छापे मारे। एसीबी को जेईएन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने की सूचना मिली थी।-दैनिक भास्कर, जयपुर पेज-१३, दिनांक : २२.०१.१२

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