tag:blogger.com,1999:blog-18868081964792506272024-03-08T21:31:44.700+05:30बेनकाब.कॉम (Benaqab.Com)भ्रष्टाचार, मिलावट, कालाबाजारी, शोषण, उत्पीडन, अत्याचार, मनमानी, गैर-बराबरी, भेदभाव, नाइंसाफी आदि गैर-कानूनी कुकृत्यों तथा अपनी पदस्थिति का दुरूपयोग करने वालों को बेनकाब करती निर्भीक, निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र आवाज़-बेनकाब.कॉम!Unknownnoreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-61505728331758612342012-03-15T18:14:00.000+05:302012-03-15T18:14:04.612+05:30डिप्टी कलेक्टर नीतीश जनार्दन ठाकुर 118 करोड़ रुपए की संपत्ति!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;">शैलेश कुमार Thursday March 15, 2012</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">अलीबाग (मुंबई ). राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 118 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक एक डिप्टी कलेक्टर को गिरफ्तार किया है। रायगढ़ जिले में पदस्थ रहे नीतीश जनार्दन ठाकुर पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप है। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">एसीबी ने ठाकुर के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की। उसे बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी संपत्ति की कीमत 118.39 करोड़ रुपए आंकी गई है। अलीबाग में 36 वर्षीय ठाकुर 1988 से 2010 के बीच पदस्थ रहा है। उसे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते दो साल पहले सस्पेंड कर दिया गया था। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">महाराष्ट्र हाऊसिंग एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी (Mhada) के निलंबित डिप्टी कलेक्टर नीतीश जनार्दन ठाकु के विले पार्ले स्थित डुप्लेक्स पर बुधवार की सुबह एंटी करप्शन ब्यूरो ने रेड डाली. उसने अधिकारियों को अंदर नहीं जाने दिया. आखिरकार ब्यूरों के अधिकारिओं ने विले पार्ले पुलिस को बुलाया. तीन घंटे तक चले ड्रामे के बाद ब्यूरो के अधिकारी अंदर जा सके. </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">एंटी करप्शन ब्यूरो के मुताबिक विले पार्ले में दो डुप्लेक्स फ्लैट के अलावा कांदिवली, बोरीवली, अंधेरी, घाटकोपर, अलीबाग, मुरुड, कोलेगांव और चिकली में उसके पास 11 फ्लैट्स और चार बंगले सहित कुल 26 संपत्ति है जिनकी कीमत 118 करोड़ से अधिक है. ठाकुर ने यह संपत्ति महज 12 साल की सरकारी नौकरी में जमा की है. <a href="http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/DEMOCRACY/entry/%E0%A4%A1-%E0%A4%AA-%E0%A4%9F-%E0%A4%95%E0%A4%B2-%E0%A4%95-%E0%A4%9F%E0%A4%B0-118-%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%A1-%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%8F-%E0%A4%95-%E0%A4%B8-%E0%A4%AA%E0%A4%A4-%E0%A4%A4">Nav Bharat Times</a> </div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-23142249992083688722012-03-04T09:22:00.000+05:302012-03-04T09:22:12.642+05:30एक बड़ी बाधा है भ्रष्टाचार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;">बिमल जालान, लेखक</div><div style="text-align: justify;">भारत में भ्रष्टाचार का सबसे घृणित पहलू यह नहीं है कि यहां भ्रष्टाचार है, बल्कि यह है कि यह भारतीय जीवन में एक अपरिहार्य लक्षण के रूप में दूर-दूर तक स्वीकृत है.</div><div style="text-align: justify;">अनादि काल से भ्रष्टाचार सभी समाजों में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है. दो हजार साल पहले कौटिल्य ने पहले-पहल अपने अर्थशास्त्र में कुछ हद तक इस पर चर्चा की.</div><div style="text-align: justify;">फिर भी भ्रष्टाचार व्यापक रूप से नैतिक और सदाचार की दृष्टि से निंदनीय था, हालांकि इसकी मौजूदगी अभिज्ञात थी. हाल के वर्षो में भ्रष्टाचार का यह नजरिया धीमें, अति सूक्ष्म मगर निश्चित परिवर्तन से गुजरा प्रतीत होता है. भारत के प्रजातंत्र और इसके शासन के ढांचे के एक अनिवार्य घटक के रूप में अब भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करने का माद्दा ज्यादा है.</div><div style="text-align: justify;">राजनीतिक स्तर पर माना जाता है कि पार्टियों और राजनीतिज्ञों में भ्रष्टाचार अपरिहार्य हो गया है क्योंकि चुनाव खर्चीले हो गए हैं और इन्हें लड़ने के लिए पैसा जुटाना पड़ता है. समान रूप से अत्याधिक व्याप्त नौकरशाही भ्रष्टाचार के बचाव में यह तर्क दिया जाता है कि भारत में लोक सेवकों को पर्याप्त वेतन नहीं मिलता या यह कि ऐसा भ्रष्टाचार ‘सर्वव्यापी घटना’ है.</div><div style="text-align: justify;">भ्रष्ट नौकरशाही के लिए आजकल दी जाने वाली भारत की बचाव दलीलें उसी तरह हैं जैसी 1980 में युगांडा में दी जाती थीं; जब युगांडा को खुले तौर पर संसार में सबसे भ्रष्ट देश माना जाता था. तक ये दिए जाते थे कि लोक सेवक अपनी नौकरी में बने रहने के लिए या तो अपनी नैतिकता, कार्य और कर्तव्यनिष्ठा के मापदंड छोड़ दें या फिर ईमानदार बने रहकर नौकरी गंवाए. उसने नौकरी में बने रहने को चुना.</div><div style="text-align: justify;">भारत में छोटे और बड़े निगमों ने भी बचे रहने और तरक्की के लिए भ्रष्टाचार में सक्रिय रूप से शामिल होने को इन आधारों पर चुना कि अपने काम को पूरा करने के लिए यही एकमात्र रास्ता है. रोचक रूप से, भारत में कारोबार में भ्रष्टाचार संभवत: जितना आंतरिक (यानी एक निजी खरीदार, निजी विक्रेता और वित्तदाता के बीच) है, उतना ही बाहरी (यानी निजी फर्म और सरकार के बीच) भी है. आम आदमी या औरत को भी भ्रष्टाचार में शामिल होना पड़ता है क्योंकि अगर उसको राशन कार्ड, लाइसेंस, अनुज्ञप्ति या कोई पंजीकरण लेना है तो यहां इसके सिवाय और कोई विकल्प नहीं है.</div><div style="text-align: justify;">एक आवश्यक बुराई के रूप में इसकी व्यापक स्वीकृति के अलावा गंभीर चिंता का अन्य क्षेत्र है, सरकारी पदानुक्रम के विभिन्न स्तरों- निर्वाचित राजनीतिज्ञ, उच्च अधिकारी वर्ग और निचले अधिकारी वर्ग में भ्रष्टाचार का परस्पर गुंफन या उध्र्वाधर एकीकरण. यह सामान्य धारणा अब मान्य नहीं है कि उच्च स्तरों पर बैठे हुए प्रत्येक मुखिया यह सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं कि उनके अधीनस्थ सत्यनिष्ठा से आचरण करेंगे. ऐसी स्थिति में जब मुखिया और एजेंट भ्रष्टाचार के लिए आपस में सांठ-गांठ कर लेते हैं तो इससे जूझने की समस्या और अधिक असाध्य हो गई है. कार्यपालक शाखा के विभिन्न स्तरों पर उध्र्वाधर भ्रष्टाचार के साथ भ्रष्टाचार का समस्तरीय फैलाव विधायिका, न्यायपालिका के अंगों, मीडिया के साथ स्वतंत्र पेशों सहित अन्य सार्वजनिक संस्थानों तक है.</div><div style="text-align: justify;">इसने भ्रष्टाचार की रोकथाम और नियंत्रण को कहीं ज्यादा मुश्किल बना दिया है. भ्रष्टाचार का राजनीतिकरण एक अन्य अशुभ घटना रही, मानो ये सब अभी कम था. समस्या से जूझने की गंभीर मंशा के बिना ही बराबर भ्रष्टाचार के मामलों को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. इसने भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों का राजनीति में प्रवेश सुगम बना दिया है. जनता अब नहीं जानती किसका विश्वास करे-अभियोक्ता का या अभियुक्त का.</div><div style="text-align: justify;">उन्नति, विकास और गरीबी उन्मूलन में भ्रष्टाचार एक बड़ी बाधा है. शोध बताते हैं कि भ्रष्टाचार उत्पादकता को कम करता है, निवेश को निम्न करता है, राजस्व संबंधी क्षय का कारण बनता है और कार्यकुशलता को दुर्बल बनाता है. भ्रष्टाचार के ये विपरीत प्रभाव, भारत के राजनीतिक और वैधानिक संस्थानों या इसकी जनता द्वारा सामान्यत: पहचाने नहीं गए हैं. राज्य की भूमिका को पुन: परिभाषित करके और इसके शासन ढांचे में सुधार के माध्यम से भ्रष्टाचार की आपूर्ति और मांग दोनों को कम करने की आवश्यकता है.</div><div style="text-align: justify;">(संपादित लेखांश ‘भारत का भविष्य’ से साभार), ०४.०३.१२ स्त्रोत : <a href="http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/143205/india-corruption-inevitable-symptoms.html">समय लाइव</a></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-51024092928127374962012-03-04T09:20:00.000+05:302012-03-04T09:20:35.037+05:30पट्टे की मिसल बनाने की एवज में ग्राम सचिव रिश्वत लेते गिरफ्तार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><a href="http://pratahkal.com/rajasthan/302-2011-08-11-16-32-10/15236-2012-03-04-03-20-01.html">ग्राम सचिव रिश्वत लेते गिरफ्तार</a></div><div style="text-align: justify;">भीलवाड़ा। आमली ग्राम पंचायत व पीपली ग्राम पंचायत के कार्यवाहक सचिव को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पट्टे की मिसल बनाने की एवज में बिचौलियों से 7 हजार रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है।</div><div style="text-align: justify;">भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भीमसिंह बीका ने बताया कि शुक्रवार शाम सूचना मिली कि ग्राम पंचायत सचिव लखन लाल शर्मा ने कुम्हारिया निवासी महादेव उर्फ शंकरलाल पिता भैरूलाल गुर्जर से पट्टे की मिसल बनाने की एवज में 7 हजार रूपए की राशि कुम्भा सर्किल स्थित शिव शक्ति कॉफी सेन्टर पर संचालक श्यामलाल सुवालका को देने की बात कही। इस पर एसीबी की टीम ने इसे गंभीरता से लेते हुए बिचौलिये की कुम्भा सर्किल स्थित शव शक्ति कॉफी सेन्टर नामक दुकान पर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर एसीबी कार्यालय पर लाकर रात भर पूछताछ की और सचिव की रिश्वतखोरी का भांडा फूट गया। SUNDAY, 04 MARCH 2012 03:१९ स्त्रोत : <a href="http://pratahkal.com/rajasthan/302-2011-08-11-16-32-10/15236-2012-03-04-03-20-01.html">प्रात: काल</a></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-90864856578976019042012-03-03T09:16:00.000+05:302012-03-04T09:19:04.601+05:30नवआरक्षक से रिश्वत लेते पुलिसकर्मी भँवरसिंह मीणा को धरदबोचा!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>देवास </b>, शनिवार, 3 मार्च 2012( 00:36 IST ) पुलिस में भर्ती हुए नव आरक्षक से रिश्वत माँगना एक पुलिसकर्मी को महँगा पड़ गया। फरियादी ने मामले की शिकायत उज्जैन रेंज के आईजी से कर दी। लोकायुक्त के दल ने शुक्रवार को रिश्वत लेते पुलिसकर्मी को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक डीआरपी लाइन देवास में पदस्थ आरक्षक भँवरसिंह मीणा ने हाल ही में आरक्षक बने जितेंद्र पाटीदार से कहा कि तुम्हारी भर्ती मैंने करवाई है, इसलिए मुझे दो लाख रुपए दो। जितेंद्र ने उज्जैन रेंज के आईजी उपेंद्र जैन को इसकी शिकायत की। इस पर आईजी ने लोकायुक्त उज्जैन के एसपी अरुण मिश्रा को जाँच का जिम्मा सौंपा। शुक्रवार को लोकायुक्त की योजनानुसार जितेंद्र ने फोन कर भँवरसिंह को माता टेकरी पर पैसे लेने के लिए बुलाया। वहाँ पहुँचे भँवरसिंह ने जैसे ही जितेंद्र से दस हजार रुपए लिए, लोकायुक्त पुलिस ने उसे रंगेहाथों पकड़ लिया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले को जाँच में लिया गया। हालाँकि देवास पुलिस अधीक्षक अनिल शर्मा का कहना है कि अभी तक उनके द्वारा दोषी आरक्षक पर किसी पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। लोकायुक्त द्वारा मामले से संबंधित दस्तावेज दिए जाने पर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।</div><div style="text-align: justify;">प्रकरण दर्ज किया है </div><div style="text-align: justify;">'जितेंद्र पाटीदार नामक नवआरक्षक ने आईजी से शिकायत की थी। शुक्रवार को दल देवास गया था। वहाँ आरक्षक भँवरसिंह मीणा को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया है। -अरुण मिश्रा, एसपी लोकायुक्त उज्जैन| स्त्रोत : <a href="http://hindi.webdunia.com/webdunia-city-madhyapradesh-dewas/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A4-%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%BE-1120303023_1.htm">वेब दुनिया</a></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-30943586831353511832012-03-02T21:14:00.000+05:302012-03-04T09:16:32.385+05:30भ्रष्टाचार का समंदर बना मध्य प्रदेश!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>भोपाल.</b> मध्य प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त का शिकंजा कसता जा रहा है। इंदौर स्थित सेंट्रल जेल के अधीक्षक पुरुषोत्तम सोमकुंवर के भोपाल और इंदौर स्थित ठिकानों पर छापे के दौरान 15 करोड़ से अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ है।</div><div style="text-align: justify;">प्रदेश में एक साल में ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारियों के घर से करीब 550 करोड़ रुपये मिले हैं। इनमें से केवल तीन को ही सजा हुई है। बाकी अधिकारियों को या तो निलंबित किया गया है, या फिर उनका तबादला किया गया है। कुछ के खिलाफ अब भी जांच चल रही है, इस तरह उनकी नौकरी बची हुई है।</div><div style="text-align: justify;">जेल अधीक्षक की संपत्ति</div><div style="text-align: justify;">जेल अधीक्षक सोमकुंवर के घरों से कुल 7.65 लाख रुपए और लॉकर से 12 हजार रुपए नकद मिले है। वह लंबे समय तक भोपाल में तैनात रहे। कुछ समय ग्वालियर में भी रहे। लोकायुक्त इंदौर के एसपी वीरेंद्र सिंह के अनुसार भोपाल में सोमकुंवर के चार मकान हैं। इनमें चूना भट्टी में दो, एक कोलार रोड पर और एक इंद्रपुरी में है। इंद्रपुरी वाले मकान में गर्ल्स हॉस्टल संचालित होता है।</div><div style="text-align: justify;">सोमकुंवर के दोनों शहरों में सात बेशकीमती भूखंड मिले हैं। इनमें से पांच भोपाल और दो इंदौर में हैं। करीब 14 एकड़ कृषि भूमि का भी पता चला है। छापे में 50 लाख का घरेलू सामान, अकेले इंदौर की बैंक में जमा 75 लाख रुपए का भी पता चला है। भोपाल में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की टीटी नगर शाखा से लॉकर में 2 लाख रुपए के जेवर 12 हजार रुपए नकद मिले हैं। इंदौर में बैंक ऑफ महाराष्ट्र शाखा पलासिया में एक लॉकर के भी दस्तावेज मिले जिसे शुक्रवार को अधीक्षक की पत्नी की मौजूदगी में खोला जाएगा।</div><div style="text-align: justify;">लोकायुक्त पुलिस के अनुसार सोमकुंवर के पास स्वर्णाभूषण सहित दस्तावेज के मान से पांच करोड़ और वर्तमान गाइड लाइन के मान से 15 करोड़ की संपत्ति मिली है।</div><div style="text-align: justify;">Source: <a href="http://dainikbhaskar.com/">dainikbhaskar.com</a> | Last Updated 11:40(02/03/12) स्त्रोत : <a href="http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-corrupt-officers-in-madhya-pradesh-2931618.html">दैनिक भास्कर</a></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-8415106838335679922012-01-22T12:54:00.000+05:302012-01-22T12:54:36.105+05:30कांस्टेबल दुर्गा शंकर शर्मा रिश्वत लेते गिरफ्तार, थानाधिकारी श्यामलाल गुर्जर के कहने पर ली थी रिश्वत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>चित्तौडग़ढ़।</b> भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की झालावाड़ इकाई द्वारा भैंसरोडग़ढ़ पुलिस थाना के एक कांस्टेबल को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जिसने थानाधिकारी के कहने पर यह रिश्वत ली थी। थानाधिकारी को आरोपी बनाया गया है।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">जानकारी के अनुसार, भैंसरोडग़ढ़ थानान्तर्गत भवानीपुरा नि. मुकेश धाकड़ की टर्बो ट्रक का पुलिस द्वारा गत दिनों चालान बनाए जाने पर मुकेश ने न्यायालय से यह ट्रक रिलीज करवा दिया। ट्रक छुड़ाने के लिए भैंसरोडग़ढ़ पुलिस थाना के चक्कर लगाए जाने पर थानाधिकारी श्यामलाल गुर्जर ने मुकेश को पुलिस थाना की जीप में कम्पनी की बैट्री डलवाने को कहा। इस पर मुकेश ने कम्पनी की बैट्री महंगी होने की वजह से अन्य बैट्री डलवाने की बात कहते हुए पुलिस से पीछा छुड़ाना चाहा, लेकिन इसके लिए उससे 3500 रूपए की मांग की गई।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इस पर मुकेश द्वारा यह जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की झालावाड़ इकाई के उप अधीक्षक विनोद गांधी को दिए जाने पर इस शिकायत का सत्यापन करवाया गया।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">सत्यापन के बाद प्रार्थी रिश्वत की राशि थानाधिकारी को देने के लिए शनिवार को जब पुलिस थाना पहुंचा तो वहां थानाधिकारी के नहीं मिलने पर उनसे हुई बातचीत के आधार पर यह राशि जीप चालक कांस्टेबल दुर्गा शंकर शर्मा को दे दी गई। इसी दौरान ब्यूरो की टीम ने वहां पहुंच कर कांस्टेबल को रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। थानाधिकारी को इस प्रकरण में आरोपी बनाया गया है।-<a href="http://pratahkal.com/rajasthan/309-2011-08-11-16-33-12/12633-2012-01-22-02-57-35.html">Prathkal</a>, SUNDAY, 22 JANUARY 2012</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-12817249758036869852012-01-22T12:38:00.000+05:302012-01-22T12:38:31.525+05:30जेईएन मलखान सिंह के यहां मिली करोड़ों की संपत्ति<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>बांसवाड़ा.</b> जलसंसाधन विभाग के एक जेईएन के घर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों ने शनिवार को छापा मार कर करोड़ो की संपत्ति जब्त की। दिनभर चली जांच में करोड़ो रु. की संपत्ति व भूखंडों संबंधी इकरार नामे के कागजात मिले। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">विभाग के आईजी टी सी डामोर के निर्देश पर धरियावाद में जल संसाधन विभाग के जेईएन मलखान सिंह के बांसवाड़ा स्थित निवास पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गोयल के नेतृत्व में दल पहुंचा और उन्होंने छापे की कार्रवाई प्रारंभ की। जांच दल ने मलखान सिंह के लिंक रोड स्थित पुल के समीप स्थित राज इंटरप्राइजेज, राज फर्नीचर, राज सर्विस सेंटर प्रतिष्ठानों पर छापे मारे। एसीबी को जेईएन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने की सूचना मिली थी।-दैनिक भास्कर, जयपुर पेज-१३, दिनांक : २२.०१.१२</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-49675801900681098512012-01-09T15:18:00.000+05:302012-01-09T15:18:09.236+05:30रिश्वत लेते सरपंच गिरफ्तार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>उदयपुर।</b> भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने निकटवर्ती ग्राम पंचायत कलड़वास के सरपंच को ५ हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी सरपंच ने यह पैसे म्यूटेशियन के दस्तावेजों की तस्दीक करने के एवज में ली थी।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">ब्यूरों के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल ने बताया कि मांगीलाल पुत्र भूरा डांगी निवासी एकलिंगपुरा ने ब्यूरो में शिकायत दी कि उसके ताउजी की मौत होने के बाद ताउजी की सारी सम्पति उसे विरासत में मिल गई थी। जिसके लिए उसकी तीन बहने भंवरी, गीता, हिरा तथा दो बुआ सेती बाई तथा तुलसी बाई ने भी उसके पक्ष में हक लिखकर दे दिया था। इस सम्पति का म्यूटेशियन अपने नाम पर करवाने के लिए उसने पटवारी दयाराम से सम्पर्क किया तो उसने दस्तावेजों के आधार पर इन्द्राज कर दिया परन्तु म्यूटेशियन के लिए पटवारी ने सरपंच से तस्दीक करवाने के लिए कहा। उसने कलड़वास सरपंच सत्यनारायण उर्फ पप्पू डांगी निवासी कलड़वास से सम्पर्क किया। सरपंच ने इसके एवज में ५ हजार रूपए की मांग की। ब्यूरो में शिकायत दर्ज होने पर ब्यूरों के अधिकारी सरपंच को रंगे हाथ पकडऩे लिए टीम के साथ कलड़वास गांव पहुंच गए। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">मांगीलाल ने सरपंच सत्यनारायण से सम्पर्क किया तो सरपंच ने उसे पैसे लेकर गांव में प्राथमिक विद्यालय में जहां पर काम चल रहा था वहां पर बुलाया। मांगीलाल ने जाकर सरपंच को पैसे दिए तथा टीम को ईशारा किया। टीम के अधिकारियों ने जाकर सरपंच को दबोच लिया। हाथ धुलवाने पर सरपंच के हाथ से कलर निकल गया। ब्यूरों के अधिकारियों ने सरपंच को गिरफ्तार कर लिया है तथा उससे पूछताछ की जा रही है।</div><div style="text-align: justify;"><a href="http://pratahkal.com/rajasthan/305-2011-08-11-16-32-37/12026-2012-01-09-04-01-30.html">PrathKaal</a>, MONDAY, 09 JANUARY 2012, 04:01, ADMINISTRATOR HITS: 8</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-10163377103150340882012-01-09T07:11:00.000+05:302012-01-09T07:11:05.025+05:30रिश्वत नहीं दी तो सिपाही ने फोड़ दिया सिर!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;">एस ॥ ग्रेटर नोएडा : एक कैदी की पत्नी ने सिपाही पर ईंट मारकर पति का सिर फोड़ने का आरोप लगाया है। कैदी की पत्नी का कहना है कि वह पेशी पर आए अपने पति को बीड़ी का बंडल दे रही थी। आरोप है कि सिपाही ने बीड़ी का बंडल देने के लिए उससे 100 रुपये की रिश्वत मांगी। रिश्वत न देने पर सिपाही ने कैदी के सिर पर ईंट दे मारी। कैदी के वकील ने सीजेएम कोर्ट में मामले की शिकायत की है। नोएडा सेक्टर-58 सोरखा निवासी सुमन ने बताया कि पुलिस ने राजन और राहुल को लूट के आरोप में जनवरी 2011 को गिरफ्तार किया था। तभी से दोनों डासना जेल में बंद है। शनिवार को दोनांे की सूरजपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेशी थी। डासना जेल से पुलिस दोनों को पेशी पर लाई थी। राजन की पत्नी सुमन और भाई बिशंभर भी उनसे मिलने आए थे। कैदी राजन ने अपने परिजनों से बीड़ी का बंडल मांगा। आरोप है कि बंडल देने से डासना जेल से साथ आए सिपाही ने रोक दिया। आरोप है कि सिपाही ने बंडल देने की एवज मंे रिश्वत मांगी और न देने पर कैदी के सिर पर ईंट मार दी जिससे कैदी घायल हो गया।-</div><div style="text-align: justify;"><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11416261.cms">रिश्वत नहीं दी तो सिपाही ने फोड़ दिया सिर!-नव भारत टाइम्स</a> 9 Jan 2012, 0611 hrs IST</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-73642823295515349482011-12-24T09:06:00.000+05:302011-12-24T09:06:07.784+05:30पुलिस उपनिरीक्षक देवानंद अहीरे रिश्वत लेते गिरफ्तार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>मुंबई॥</b> भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शाहू नगर पुलिस स्टेशन से जुड़े एक सब इंस्पेक्टर देवानंद अहीरे को 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। अहीरे एफआईआर दर्ज करने के बदले में एक व्यक्ति से यह रिश्वत मांग रहा था। यह व्यक्ति पेशे से इस्टेट एजेंट है। उसके यहां सार्वजनिक गणेशोत्सव का सामान रखा हुआ था। इसी बात को लेकर उसको कुछ लोगों ने धमकी दी। इसी धमकी की वह एफआईआर दर्ज कराना चाहता था।-24 Dec 2011, 0400 hrs IST, <a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11223434.cms">नवभारत टाइम्स</a> प्रमुख संवाददाता</div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-20464238637931599272011-12-23T20:21:00.000+05:302011-12-24T08:29:40.570+05:30डीईओ ऑफिस में महिला लिपिक पुष्पा ठाकुर रंगेहाथो रिश्वत लेते पकड़ाई!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div><div style="text-align: justify;"><b>इंदौर!</b> लोकायुक्त पुलिस ने जिलाशिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक महिला लीपिक को रिश्वत लेते रंगे हाथो पकड़ा। लिपिक ने एक दृष्टिबाधित शिक्षक से जीपीएफ की राशि आहरित करवाने के लिए 2 हजार रुपए राशि की मांग की थी।रिश्वत नहीं देने से शिक्षक का प्रकरण महीनों से लंबित पड़ा था, जबकि वह अपने 4 वर्ष के बच्चे का किडनी की बिमारी के इलाज के लिए प्राविडेंड फंड की राशि निकलवा रहे थे। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">लोकायुक्त डीएसपी अशोक सोलंकी के मुताबिक गुरूवार को दोपहर सवा दो बजे जिलाशिक्षा अधिकारी कार्यालय में लिपिक सहायक ग्रेड दो पुष्पा ठाकुर को शासकीय कन्या प्राथमिक स्कूल क्रमांक 13 में पदस्थ सहायक शिक्षक रामाधार सेन से रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा। शिक्षक 2 हजार रुपए की राशि लेकर श्रीमती ठाकुर के कक्ष में पहुँचा और उन्होंने पैसे अपने बैग में रख लिए। तुरंत लोकायुक्त टीम के सदस्य कक्ष में पहुँचे और हाथ धुलवाने पर पानी गुलाबी हो गया। लिपिक ने शिक्षक से 2 लाख रुपए के जीपीएफ राशि आहरित करवाने के पहले एक प्रतिशत राशि की मांग की थी। कागजी कार्रवाई पूरी कर शाम को श्रीमती ठाकुर को जमानत पर छोड़ दिया गया। टीम में बीएस परिहार, एसएल कटारे, जीडी शर्मा थे।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>दो माह तक आवेदन पड़ा रहा</b></div><div style="text-align: justify;">फरीयादी शिक्षक श्री सेन ने बताया कि शासकीय स्कूल बाणगंगा संकुल पर जीपीएफ निकालने का आवेदन दिया था। संकुल पर ही 40 दिन तक आवेदन पड़ा रहा। इसके बाद डीईओ ऑफिस भेजा यहाँ भी 15-20 दिन तक प्रकरण अटका रहा। श्रीमती ठाकुर के पास 7-8 बार चक्कर काटे लेकिन हर बार टाल दिया जाता। एक-दो दिन पहले कुल राशि के एक प्रतिशत देने की मांग की थी।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>बेटे का ऑपरेशन ब्याज पर पैसे लेकर करवाया</b></div><div style="text-align: justify;"><b></b>श्री सेन ने बताया कि चार वर्ष के बेटे गौरव की किडनी खराब है उसका नागपुर में 4 लाख रुपए के खर्च पर ऑपरेशन करवाया। जीपीएफ की राशि नहीं निकलने से ब्याज पर पैसे लेकर इलाज करवाया। अब लोन के पैसे चुकाने के लिए जीपीएफ राशि पर ही निर्भर है।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>कार्यालय में हड़कंप, अधिकारी नदारद</b> </div><div style="text-align: justify;">गुरूवार को लोकायुक्त का छापा पड़ते ही डीईओ ऑफिस में हड़कंप मच गया। कार्यालय में मौजूद कोई भी अधिकारी अपने कक्ष से बाहर नहीं निकला। इधर ठीक सवा दो बजे कार्रवाई होते ही जिलाशिक्षा अधिकारी रजनी जादौन को सूचित किया गया लेकिन वे कार्यालय में 4 बजे पहुँची। सूचना मिलते ही कनकेश्वरीधाम में आयोजित बैठक से तुरंत निकल गए लेकिन कार्यालय आने में 2 घण्टें लग गए। इतनी बड़ी कार्रवाई के दौरान अधिकारी का कार्यालय में तुरंत उपस्थित नहीं होने से काफी प्रश्न उठे। इधर श्रीमती ठाकुर की जमानत लेने को भी कोई तैयार नहीं था।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>संकुल व्यवस्था भी घेरे में</b> </div><div style="text-align: justify;">इधर श्री सेन ने बाणगंगा संकुल पर आवेदन किया था तो वहाँ भी 40 दिन आवेदन पड़े रहने से वह भी लोकायुक्त व विभागीय कार्रवाई के घेरे में आ गए है। उन्होंने बताया कि संकुल के बाबु शिवनारायण पुरोहित ने भी 500 रुपए की मांग की थी। इधर संकुल प्राचार्य टीएस डाबर से भी स्पष्टीकरण मांगा जाऐगा।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>मुझे फँसाया गया है</b></div><div style="text-align: justify;">श्रीमती ठाकुर पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर रो पड़ी। उन्होंने कहा कि उन्हें फँसाया गया है और शिक्षक खुद भी बैग में पैेसे रखकर चला गया। हाथ धुलवाने पर पानी भी गुलाबी नहीं हुआ था।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>नियमानुसार विभागीय कार्रवाई होगी</b> </div><div style="text-align: justify;">मैंने श्रीमती ठाकुर को शिक्षक का कार्य जल्दी से जल्दी करने के निर्देश दिए थे। लोकायुक्त पुलिस ने रंगेहाथों रिश्वत लेते पकड़ा है नियमानुसार विभागीय कार्रवाई की जाऐगी। वहीं संकुल प्राचार्य व बाबू को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर मामले की जाँच की जाऐगी।-रजनी जादौन, जिलाशिक्षा अधिकारी, इंदौर</div><div style="text-align: justify;">स्त्रोत : <a href="http://hindi.webdunia.com/webdunia-city-madhyapradesh-indore/%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%88%E0%A4%93-%E0%A4%91%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B8-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A5%E0%A5%8B-%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A4-%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%95%E0%A5%9C%E0%A4%BE%E0%A4%88-1111223219_1.htm">वेबदुनिया डोट हिंदी</a>, इंदौर, शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011( 16:41 IST )</div></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-76898791050808289222011-12-23T09:00:00.000+05:302011-12-24T09:01:11.200+05:30आधे से ज्यादा भारत घूस देने को मजबूर!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;">भारत के आधे से ज्यादा लोगों को काम निकालने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. कानूनी तौर पर जो उनका हक था, उसे पाने के लिए उन्हें गैरकानूनी तौर पर अफसरों की जेब गर्म करनी पड़ी. ताजा आंकड़े दक्षिण एशिया की हालत खराब बताते हैं.</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की ताजा सर्वे में इस बात का खुलासा किया गया है. काठमांडू में जारी आंकड़ों में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में घूस और रिश्वतखोरी इतनी आम बात हो गई है कि अफ्रीका के सहारा प्रायद्वीप के बाद यह इलाका दुनिया के सबसे भ्रष्ट इलाके में शामिल हो गया है.</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल ने भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव के लगभग 7800 लोगों का इंटरव्यू और सर्वे करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है. उनका कहना है कि इनमें से लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को रिश्वत देनी पड़ी. सभी जगहों पर सबसे ज्यादा घूस पुलिसवालों ने ली. भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के दो तिहाई लोगों का कहना है कि उन्हें भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों की मुट्ठी गर्म करनी पड़ी.</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>54 प्रतिशत घूस देने वाले</b></div><div style="text-align: justify;">जहां तक भारत का सवाल है, यहां के लगभग 54 प्रतिशत लोगों को रिश्वत देकर अपना काम कराना पड़ रहा है. उनका मानना है कि उनकी सरकार जनता के लिए सही कदम नहीं उठा रही है. उन्हें जन्म प्रमाणपत्र से लेकर ठेके तक के लिए पहले रिश्वत देनी पड़ रही है. भारत में हाल के दिनों में भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी की सोच में थोड़ी बहुत बदलाव देखी गई है. इसी मुद्दे पर भारत के समाजसेवी अन्ना हजारे अनशन कर रहे हैं. और इसी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय संसद में लोकपाल बिल पेश किया गया है.</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">भारत में ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक अनुपमा झा का कहना है, "लोगों को अहसास हो गया है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. यहां हर स्तर पर भ्रष्टाचार है."</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">झा ने कहा, "यह रिपोर्ट बताती है कि लोग नेताओं, पुलिस और विधायिका के बारे में क्या सोचते हैं. लोगों का विश्वास उन पर से खत्म हो चुका है. लेकिन फिर भी मुझे उम्मीद है कि अगर लोगों ने हाथ मिला लिया तो भारत में बदलाव आ सकता है."</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>रिश्वत से आजिज</b></div><div style="text-align: justify;">ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट को जारी करते हुए ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की रुकसाना नानायक्कारा ने कहा, "रिश्वत देते देते लोग आजिज आ चुके हैं. यह उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. वे सरकारी अफसरों के रुतबे को देख कर भी आजिज आ चुके हैं." इस सर्वे का नाम है, "डेली लाइव्स एंड करप्शनः पब्लिक ओपीनियन इन साउथ एशिया." इसमें हिस्सा लेने वाले करीब 62 फीसदी लोगों का मानना है कि पिछले तीन साल में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले बहुत बढ़ गए हैं.</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इस मामले में भारत और पाकिस्तान के लोग बेहद निराशा में हैं. हालांकि अब 80 फीसदी से ज्यादा लोगों का कहना है कि वे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कार्रवाई करने को तैयार हैं. नानायक्कारा ने कहा, "सरकारों सावधान. जनता समझती है कि भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और वे इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हो रही है. साल 2011 में आम लोगों ने खड़े होकर इसका विरोध किया है और अपनी बात सामने रख दी है. उन लोगों की भावनाओं का ख्याल रखा जाना जरूरी है."</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">हाल ही में ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्ट देशों की सूची जारी की थी, जिसमें इन सभी छह देशों की स्थिति बेहद खराब है. 186 देशों की सूची में उन्हें 86 से लेकर 154वें स्थान पर रखा गया है. इस मामले में सबसे खराब हालत बांग्लादेश की है, जहां 66 प्रतिशत लोगों को सरकारी संस्थानों को पैसा खिलाना पड़ रहा है. उन्हें ज्यादातर ऐसे मामलों के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं, जिसके वे कानूनी तौर पर हकदार हैं.</div><div style="text-align: justify;">स्त्रोत : <a href="http://www.dw-world.de/dw/article/0,,15621688,00.html">आधे से ज्यादा भारत घूस देने को मजबूर!</a> <a href="http://dw-world.de/">DW-WORLD.DE</a>, 23.12.2011 रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल, संपादनः महेश झा</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-69082176560372820312011-12-22T05:01:00.000+05:302011-12-22T05:01:36.688+05:30रिश्वतखोर रेंट कलेक्टर किरण बोडस रिश्वत लेते गिरफ्तार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">नप्र॥ मंुबई, ऐंटि करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बीएमसी के रेंट कलेक्टर को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। आरोपी का नाम किरण बोडस है और वह शिवाजी नगर में एम (ईस्ट) वॉर्ड ऑफिस में कार्यरत है। एसीबी से मिली जानकारी के मुताबिक, गोवंडी के शिवाजी नगर में रहने वाली एक महिला के घर का छप्पर अचानक गिर पड़ा, जिसके बाद महिला ने उसकी मरम्मत का काम शुरू किया। इस बीच अपने आप को बीएमसी कॉलोनी और फोटोपास ऑफिसर बताने वाले दाभाडे नामक अधिकारी ने मरम्मत काम के संबंध में बीएमसी से लिए गए इजाजत की जानकारी मांगी। महिला के पास इजाजत नहीं मिलने पर दाभाडे ने उसे आरोपी किरण बोडस के ऑफिस में आने को कहा। जब महिला रेंट कलेक्टर बोडस के ऑफिस में गई तो, उसने बिना इजाजत घर मरम्मत करने पर महिला के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के बदले दस हजार रुपये रिश्वत मांगी। हालांकि महिला ने इतनी रकम देने में असमर्थता जताई। जिसके बाद दोनों के बीच 5 हजार रुपये में मामला तय हो गया। इसके बाद एसीबी ने जाल बिछाकर बोडस को रंगे हाथ पांच हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया।-<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11197727.cms">नव भारत टाइम्स</a>, 22 Dec 2011, 0400 hrs IST</span></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-82389593533872825082011-12-21T22:02:00.000+05:302011-12-22T05:04:09.885+05:30अपने मकहमे से तंग अनशन पर बैठे कर्मचारी की मौत!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">गाजीपुर। यूपी के गाजीपुर जिले में भूख हड़ताल पर बैठे एक कर्मचारी की मौत से सरकारी रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोक निर्माण विभाग का ये कर्मचारी अपने साथियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठा था और विभाग के भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा था। लेकिन विभाग के आला अधिकारियों ने इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। अब कर्मचारी की मौत के बाद अधिकारी ये कहकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी।</span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">यूपी के लोक निर्माण विभाग के मुखिया मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी खुद भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे हैं, उसी विभाग में फैले भ्रष्टाचार ने एक कर्मचारी की जान ले ली। गाजीपुर में पीडब्ल्यूडी के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी विभाग के दो बाबुओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ 13 दिसंबर से अनशन पर बैठे थे। कर्मचारियों का आरोप है कि ये लोग उनके वेतन में कटौती कर अपने चहेते कर्मचारियों के वेतन में डालकर उसका बंदरबांट करते हैं। लेकिन इनके आरोपों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इसके बाद ये सभी कर्मचारी 19 दिसंबर से भूख हड़ताल पर चले गए। मंगलवार शाम बिहारी यादव नाम के एक कर्मचारी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन रात को उसकी मौत हो गई। अपने साथी कर्मचारी की मौत से गुस्साए कर्मचारियों ने इस मामले में आरोपी बाबुओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इस पूरे वाकये ने न सिर्फ विभाग में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया है बल्कि अधिकारियों की संवेदनहीनता से भी पर्दा उठाया है। मौके पर पहुंचे पीडब्ल्यूडी अधिकारी ने कहा कि उन्हें इस अनशन की कोई जानकारी नहीं थी। वो भी तब जबकि ये कर्मचारी विभाग के परिसर में ही बैठे थे और जहां पर इन साहब का रोजाना आना-जाना होता था। वहीं, इस पूरे मामले में पुलिस के आलाधिकारी और जिला प्रशासन भी सवालों के घेरे में है। इस मामले में कार्रवाई के सवाल पर मौके पर पहुंचे एडीएम पल्ला झाड़ते नजर आए।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">ये वही पीडब्ल्यूडी विभाग है जिसके मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनकी पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में लोकायुक्त की जांच चल रही है। दोनों के खिलाफ पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की शिकायतों की प्रारंभिक जांच के बाद केस दर्ज है और उन्हें 28 दिसंबर तक अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा गया है जिसकी जानकारी खुद राज्य की मुख्यमंत्री मायावती को भी है।-<a href="http://khabar.ibnlive.in.com/news/64431/3/21">आईबीएन-7</a>, Posted on Dec 21, 2011 at 08:59pm IST | Updated Dec 21, 2011 at 09:48pm IST</div></span></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-11474464740123974302011-12-20T21:53:00.000+05:302011-12-22T04:58:40.872+05:30आईपी यूनिवर्सिटी के भ्रष्ट सेक्सन ऑफिसर शरद कुमार को जेल!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">नगर संवाददाता ॥ तीस हजारी, </span><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">बीएड में दाखिले के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में आईपीयूनिवर्सिटी के सेक्शन अफसर शरद कुमार को अदालत नेढाई साल कैद की सजा सुनाई है। अडिशनल सेशन जज बी .आर . केडिया की अदालत ने दोषी पर 20,000 रुपये काजुर्माना भी किया है। उसे एंटी करप्शन ने 16 जुलाई 2004को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तारकिया था। </span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"></span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">पेश मामले के मुताबिक गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटीमें जुलाई 2004 में बीएड में दाखिले के लिए एंट्रेस एग्जामथा। यूनिवर्सिटी ने 2600 रैंक तक के स्टूडेंट्स को काउंसलिंगके लिए बुलाया था। इन्हीं उम्मीदवारों में मोना चौधरी भी शामिल थीं। उनका रैंक 2033 वां था। 12 जुलाई 2004 कोमोना अपने भाई मुकेश चौधरी के साथ यूनिवर्सिटी गई थीं।वे बीएड के एडमिशन को डील करने वाले सेक्शन अफसर शरद कुमार से मिले। शरद कुमार ने उन्हें 15 जुलाई को बुलाया। मुकेश अपनी बहन के साथ 15 जुलाई को शरदकुमार से जाकर मिले। तब उन्हें बताया गया कि बीएड में एडमिशन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">मुकेश ने उस अधिकारी से कहा कि यह उनकी बहन के भविष्य का सवाल है। तब शरद कुमार ने उन्हंे दो दिन बाद आने के लिए कहा। मुकेश अपने दोस्त कर्मशील के साथ 16 जुलाई 2004 की सुबह एक बार फिर शरद कुमार से मिला। तब उन्होंने बीएड मंे दाखिला कराने की एवज मंे उनसे 1.25 लाख रुपये मांगे। मामला एकलाख रुपये में तय हुआ। मुकेश यह कहकर वहां से चला आया कि इतने कम समय में वह इतनी बड़ी रकम काजुगाड़ नहीं कर पाएगा। तब अधिकारी ने उनसेे रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 20,000 रुपये शाम तककनाट प्लेस में रीगल सिनेमा के पास लेकर आने के लिए कहा। </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">अधिकारी से सौदा तय होते ही मुकेश ने एंटी करप्शन ब्रांच को कंप्लेंट कर दी। इस सूचना पर एंटी करप्शन ब्रांचने अधिकारी को गिरफ्तार करने के लिए इंस्पेक्टर सुंदर देव सहित अन्य पुलिसकर्मियों की टीम बनाई। 16 जुलाई2004 की शाम शरद कुमार ने मुकेश से जैसे ही रिश्वत की रकम ली उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।उसके कब्जे से रिश्वत की रकम के रूप मंे 500 रुपये के 40 नोट भी बरामद हो गए। एंटी करप्शन ब्रांच ने उसकेखिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। सरकारी पक्ष ने आरोपसाबित करने के लिए 14 गवाहों को अदालत मंे पेश किया। अदालत ने गवाहांे के बयान और सरकारी पक्ष कीदलीलों को सुनने के बाद शरद कुमार को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा -7 और धारा -12 (2) के तहतदोषी करार देते हुए दोनों धाराओं में ढाई - ढाई साल कैद की सजा सुनाई। अदालत ने दोषी अधिकारी पर 20,000 रुपये का जुर्माना किया।-<a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11171665.cms">नवभारत टाइम्स</a>, 20 Dec 2011, 0400 hrs IST,</span></div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-5265248338189598122011-12-18T22:03:00.000+05:302011-12-22T04:56:41.890+05:30भ्रष्टाचार मिटाने चले हैं!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">साधो, मुद्दा ईमानदार बनाम बेईमान का नहीं है, बल्कि जेरे-बहस यह है कि भ्रष्ट और महाभ्रष्ट की शिनाख्त किस तरह हो। क्या महाभ्रष्ट के सामने भ्रष्ट का अपराध क्षम्य है? भ्रष्ट और महाभ्रष्ट के बीच नाप-तौल के लिए कोई तराजू तो बनी नहीं। ऐसे में आप अपना सिर धुनने के अलावा क्या करेंगे। </span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले नौकरशाहों के बीच पांच महाभ्रष्टों का चुनाव उनकी ही यूनियन करती थी। मुझे कभी समझ में नहीं आया कि इन महाभ्रष्टों को चुने जाने का आधार कौन-सा था और उनका चयन करने वाले क्या ईमानदार लोग थे। जब भ्रष्ट होंगे, तभी तो महाभ्रष्ट होंगे। महाभ्रष्ट भी शुरुआत में भ्रष्ट ही रहे होंगे। उनके भ्रष्ट से महाभ्रष्ट होने के सफरनामे पर कभी सवालिया निशान क्यों नहीं लगा? फिर सिर्फ पांच ही महाभ्रष्टों का चयन क्यों? </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">आज संकट यह है कि कोई आदमी स्वयं को भ्रष्ट या बेईमान नहीं मानता। वह जो कुछ करता है, उसके पीछे अकाट्य तर्क देता है-यार, लो पेड आदमी महंगाई के इस जमाने में कैसे गुजर-बसर करे? अगर रिश्वत न लें, चोरी न करें, तो शाम को चूल्हे पर क्या उसूल पकाएंगे? कौन रिश्वत नहीं लेता? कोई रोजगार बगैर बेईमानी के नहीं चल सकता। अब बताइए, इन दलीलों के सामने आपकी बुद्धि क्या पानी नहीं भरने लग जाएगी? </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">पड़ोसी झुंझलाकर पूछता है, बताओ कि यह भ्रष्टाचार मिटेगा कैसे? मैंने कहा कि उसे मिटाने की जरूरत क्या है? वह हमसे ज्यादा ताकतवर है। वह अंतर्यामी है, कण-कण में बसा हुआ। उसे खत्म करने की जुर्रत करेंगे, तो हम खुद समाप्त हो जाएंगे। भ्रष्टाचार मुक्त समाज की कल्पना जो लोग करते हैं, वे सिरे से पागल हैं। वे मूर्खों के स्वर्ग में निवास करते हैं। दरअसल, कुछ लोग निठल्ले हैं। उन्हें काम चाहिए। बैठे ठाले उन्होंने सोचा, चलो, भ्रष्टाचार मिटा डालें। जो अमिट है, उसे मिटाने की बात सोचना परले दरजे का पागलपन है। दूसरी ओर यह सारी उछल-कूद देख भ्रष्टाचार मन ही मन मुसकराते हुए गुनगुनाता है, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे-जहां हमारा। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">आप ही बताओ कि इतिहास में कौन-सा जमाना था, जब भ्रष्टाचार का वजूद नहीं था? दुनिया भर के भ्रष्ट एक होकर इस पूरी व्यवस्था को संचालित कर रहे हैं। मेरा मानना है कि एक अभियान चलाकर ऐसे लोगों को भी भ्रष्ट बनाने की कोशिशें तत्काल शुरू कर देनी चाहिए, जो आज भी जहां-तहां ईमानदारी का परचम लहरा रहे हैं। जब सब भ्रष्ट हो जाएंगे, तब भ्रष्टाचार को समाप्त करने की जरूरत ही खत्म हो जाएगी।-सुधीर विद्यार्थी, <a href="http://www.amarujala.com/Vichaar/VichaarDetail.aspx?nid=2136&tp=b&Secid=6&SubSecid=17">अमर उजाला</a>, Story Update : Sunday, December 18, 2011 9:24 PM </div></span></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-59624262140774827022011-12-15T08:23:00.000+05:302011-12-15T08:23:41.668+05:30यूसी जारी करने मांगी रिश्वत, दो गिरफ्तार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>भीलवाड़ा।</b> सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना के सहायक अधिकारी अनिल बांगड़ और उनके कम्प्यूटर ऑपरेटर को पांच हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। </div><div style="text-align: justify;">ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने बताया कि भगवानपुरा में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में एक लाख अस्सी हजार रूपए से नाली का निर्माण उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिला परियोजना सहायक अधिकारी (सर्व शिक्षा अभियान) अनिल बांगड़ ने सर्व शिक्षा अभियान के जेईएन अजहर अली से दस प्रतिशत के हिसाब से अठारह हजार रूपए की मांग की। इस पर पांच हजार तो विद्यालय के संस्था प्रधान ने बांगड़ को दे दी और आज अजहर अली से पांच हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अनिल बांगड़ को पकड़ा। बांगड़ ने रूपए लेने के बाद निजी सिक्युरिटी कम्पनी रिलायंस के जरिए ठेके पर ले रखे कम्प्यूटर ऑपरेटर संदीप जैन को दे दिये जिसने यह राशि अपनी पेंट की जेब में रखी। ब्यूरो टीम ने सुनिल को भी गिरफ्तार कर लिया। ब्यूरो की कार्यवाही से जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के कार्यालय में हड़कम्प मच गया।-<a href="http://pratahkal.com/rajasthan/302-2011-08-11-16-32-10/10126-2011-12-14-03-10-02.html">प्रात: काल</a>, १४.१२.२०११</div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-82374011459534537872011-12-12T07:41:00.000+05:302011-12-15T07:48:27.317+05:30एएसआई रंजीत सिंह बंद्राल को रिश्वत लेते विजिलेंस ने रंगे हाथों धरा!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div dir="rtl" style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><b>दोमाना।</b> राज्य विजिलेंस विभाग की कार्रवाई में पुलिस का एक एएसआई रिश्वत लेते रंगे हाथों धरा गया। आरोपी की पहचान एएसआई रंजीत सिंह बंद्राल के रूप में हुई है। डीएसपी राजेंद्र सलगोत्रा और डीएसपी जतिन मट्टू के नेतृत्व में विजिलेंस की टीम ने दोमाना थाना के सामने स्थित लक्ष्मी स्वीट शाप पर यह कार्रवाई की। मौके पर दोमाना थाना में तैनात एएसआई रंजीत सिंह को शिकायतकर्ता मनदीप से दो हजार रुपए रिश्वत में लेते रंगे हाथों हिरासत में ले लिया गया। आईजी जम्मू दिलबाग सिंह के अनुसार आरोपी एएसआई को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच भी की जाएगी। उन्होंने विजिलेंस विभाग की इस कार्यवाही को सराहा है।</span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"></span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">जानकारी के अनुसार पुलिस में एसपीओ रह चुका मनदीप का दो दिन पहले ही जमीन के मामले को लेकर विवाद हुआ था। इस शिकायत की जांच एएसआई रंजीत सिंह के पास थी। शिकायत कर्ता का आरोप है कि एएसआई ने उससे मामला निपटाने के लिए पांच हजार रुपए मांगे थे। बाद में मामला दो हजार में सेटल हो गया। विजिलेंस विभाग को इस मामले में शिकायत दी गई। जिसपर विजिलेंस विभाग की ओर से शिकायतकर्ता को केमिकल लगे रुपये दिए गए। शाम पांच बजे के करीब शिकायतकर्ता ने आरोपी एएसआई को पुलिस स्टेशन के सामने स्थित लक्ष्मी स्वीट शाप पर बुलाया। जैसे ही आरोपी ने पैसे लेकर जेब में डाले मौके पर मौजूद विजिलेंस की टीम ने दविश देकर आरोपी को पकड़ लिया। मौके पर ही उसके हाथ और उसकी पेंट की जिस जेब में रुपये डाले थे को धोया गया। हाथ ओर कपड़ाें को धोते ही केमिकल ने अपना रंग दिखा दिया। मौके पर मौजूद गवाहों के सामने ही यह सब किया गया। आरोपी की पेंट आदि को भी विभाग ने जब्त कर लिया है।-१०.१२.११, <a href="http://www.amarujala.com/state/Jammu-Kashmir/45040-5.html">अमर उजाला</a>,</span></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-13895550185957390032011-12-11T07:38:00.000+05:302011-12-15T07:48:04.305+05:30बिहार में 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते डीएसपी बांके रजक गिरफ्तार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><b>दरभंगा।</b> दरभंगा जिले के बेनीपुर अनुमंडल के डीएसपी बांके रजक एक व्यक्ति से घूस के तौर पर 30 हजार रुपये लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किए। </span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"></span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">निगरानी ब्यूरो अडिशनल डीजीपी पी.के.ठाकुर ने बताया कि रजक को बहेड़ी थाना के दुबौली गांव निवासी रवीन्द्र सिंह से एक मामले में सुपरविजन नोट भेजने के एवज में 30 हजार रुपये लेते हुए शनिवार को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार डीएसपी को पटना स्थित ब्यूरो के हेड ऑफिस लाया जा रहा है। इसके बाद उन्हें मुजफ्फरपुर स्थित विशेष निगरानी अदालत में पेश किया जाएगा। </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11059223.cms"><span class="Apple-style-span" style="-webkit-text-decorations-in-effect: none; color: black;"></span></a><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11059223.cms">नव भारत टाइम</a>, 10.१२.२०११</span></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-3548540680313678082011-12-09T07:36:00.000+05:302011-12-15T07:46:39.500+05:30सीबीआई ने पकड़ी 50 पैसे की रिश्वत!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">1.50 लाख करोड़ से अधिक के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में जुटी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने किसी जमाने में रेलवे के एक पार्सल बाबू को 50 पैसे की रिश्वत लेते पकड़ा था। यह और बात है कि यह घटना देश की आजादी से पहले यानी वर्ष 1943 की है और यह प्रकरण तत्कालीन अविभाजित भारत के क्वेटा शहर (वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा) में दर्ज किया गया था। यह दिलचस्प जानकारी बुधवार को सीबीआई के अधिकारियों ने शासकीय आट्र्स एंड कामर्स व बीएड कॉलेज में विशेष जागरुकता कैंपेन के दौरान दी।</span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"></span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">भ्रष्टाचार मिटाने में हमारा सहयोग करें</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">सीबीआई के इंस्पेक्टर डॉ. एलएन मिश्रा ने बताया कि इस कैंपेन का उद्देश्य युवा वर्ग में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरुकता लाना है। युवा वर्ग समाज का सबसे जागरूक व सक्रिय वर्ग है इसलिए भ्रष्टाचारियों के पर्दाफाश में उनकी भूमिका उभारना जरूरी है। डॉ. मिश्रा के मुताबिक सीबीआई देश में इस तरह के कैंपेन पहले भी आयोजित कर चुकी है, लेकिन मध्यप्रदेश में इस तरह का प्रयास पहली बार हुआ है।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">हम सबकी शिकायत सुनते हैं</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">इंस्पेक्टर डॉ. मिश्रा ने बताया कि रिश्वत के मामले में आम नागरिक की शिकायत पर तथा घोटाले व अन्य आपराधिक मामलों में राज्य सरकार, केंद्र सरकार, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा पर कार्रवाई करते हैं। मप्र में सीबीआई के दो कार्यालय हैं। इनमें से एक जबलपुर व दूसरा भोपाल में स्थित है। सागर संभाग सहित आसपास के कई जिले जबलपुर कार्यालय के अधीन आते हैं। कुछ माह पहले इसी कार्यालय के अमले ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सागर में पदस्थ ईपीएफ अधिकारी के निवास पर छापामार कार्रवाई की थी।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">केवल केंद्र के विभागों की जांच करते हैं : सीबीआई के इस कैंपेन में शामिल एसआई अमित द्विवेदी के मुताबिक अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं होती है कि सीबीआई केवल केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कार्यालय, उपक्रम, संगठन जैसे सेना, रेलवे, डाक व टेलीकॉम, बैंक, इंश्योरेंस, इनकम टैक्स आदि के विरुद्ध आने वाली शिकायत पर कार्रवाई करती है। राज्य सरकार के अधीन विभागों में इस तरह की कार्रवाई लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) द्वारा की जाती है। श्री द्विवेदी के अनुसार सीबीआई, केंद्र से संबद्ध विभागों में रिश्वत के लेन-देन, आय से अधिक संपत्ति के अलावा भर्तियों में धांधली, अनियमिततापूर्ण निर्माण सहित रिश्वत की मांग या गबन करने वाले जनप्रतिनिधि, विदेश से आने वाली नकली करेंसी, देश के भगोड़े अपराधी को वापस लाने जैसे मामले में भी कार्रवाई करती है।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">...मोबाइल नंबर 9425600091 पर शिकायत करें</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">सीबीआई के सब-इंस्पेक्टर आरपी सिंह ने बताया कि हमारी जांच एजेंसी में शिकायत दो तरीकों से की जा सकती है। इनमें पहला है मोबाइल नंबर 9425600091 पर और दूसरा लिखित शिकायत भेजकर। श्री सिंह के मुताबिक शिकायत मिलने के बाद हमारी विशेष जांच टीम पीडि़त व्यक्ति के आरोपों की सत्यता की जांच करती है। आरोप सही पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध ट्रेप या छापामार कार्रवाई की जाती है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में आवेदक की इच्छा के मुताबिक उसका नाम गोपनीय भी रखा जा सकता है।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">....ऐसे पकड़ा जाता है रंगे हाथ</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">जागरुकता कैंपेन के आखिरी चरण में सीबीआई के अधिकारियों ने कॉलेज के छात्रों की मदद से रिश्वत लेने वाले व्यक्ति को पकडऩे की कार्रवाई का 'डेमोÓ पेश किया। अधिकारियों ने एक छात्र को रिश्वत मांगने वाले व दूसरे देने वाले की भूमिका दी। इसके बाद उन्होंने शिकायतकर्ता छात्र को 'फिनाफ्थलीनÓ नामक केमिकल लगे हुए 500-500 के नोट दिए। उसने यह नोट रिश्वत लेने वाले छात्र को दिए। इसके बाद उसके हाथ तुरंत 'सोडियम कार्बोनेटÓ के घोल के पानी से धुलाए गए तो वह गुलाबी हो गया। इस दौरान छात्रों की विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">सेना पर नजर रखना थी पहली जिम्मेदारी : सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में वर्ष 1941 में हुई थी। उस समय इस विभाग का काम केवल सेना व युद्ध के दौरान होने वाली अनियमितताओं को पकडऩा था। आगे चलकर वर्ष 1946 में उसे पृथक विभाग के रूप में मान्यता दी गई। 1963 में इसका केंद्रीय गृह विभाग में विलय कर दिया गया। जबलपुर में रेलवे में होने वाली अनियमितताओं के मद्देनजर 1942 में इसकी एक शाखा स्थापित हुई। सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान उनके संगठन में करीब 5800 अधिकारी कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं। इनमें से 50 फीसदी अन्य पुलिस संगठनों से प्रतिनियुक्ति पर आए हैं।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">हम पर भी रहती है 'एसयूÓ की नजर : सीबीआई खुद भ्रष्टाचार तो नहीं कर रही इस पर कौन नजर रखता है? इस सवाल के जवाब में सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि उनके विभाग में एक 'स्पेशल यूनिटÓ यानी एसयू बनाई गई है। यह यूनिट सीबीआई के अधिकारियों के कहीं भी आने-जाने, लोगों से मिलने से लेकर अन्य कई तरीकों पर नजर रखती है। सीबीआई रिश्वत लेने के मामले में कुछ साल पहले अपने एक इंस्पेक्टर को ट्रेप कर चुकी है।</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">इस अवसर पर कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आशा लता दुबे, एनएसएस अधिकारी डॉ. अमर कुमार जैन, डॉ. विजयकुमार त्रिपाठी, डॉ. नीरजकुमार दुबे, डॉ. अमिताभ दुबे, डॉ. एसी जैन सहित अन्य स्टाफ मौजूद था।-स्त्रोत : <span class="Apple-style-span" style="-webkit-text-decorations-in-effect: none; color: black;"><a href="http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-1648809-2623345.html">नगर संवाददाता : त्न सागर</a>, </span><a href="http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-1648809-2623345.html">दैनिक भास्कर</a>, 08/12/११</span></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-36725606071138560992011-12-07T07:34:00.000+05:302011-12-15T07:47:12.525+05:30सर्वे कर्मचारी विमल कुमार झा व अनाधिकृतकर्मी पवन कुमार चौधरी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पक़ड़ा गया!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><b>मधुबनी।</b> निगरानी की टीम द्वारा जाल बिछाकर सोमवार की सुबह कचहरी स्थित सर्वे कार्यालय में छापामार सर्वे कार्यालय के अनुसेवक विमल कुमार झा व अनाधिकृतकर्मी पवन कुमार चौधरी को ६००० हजार रुपये रंगे हाथ गिरफ्तार किया । कार्यालय के खुलते ही एक २३ वर्षीय अनजान युवक कार्यालय में प्रवेश कर ६ हजार रुपये कर्मचारी के हाथों में जैसे ही दिया कि पीछे से सादी वर्दी में आए निगरानी टीम के सदस्यों ने दोनों को पक़ड़ लिया । टीम दोनों को लेकर मुजफ्फरपुर रवाना हो गई । कचहरी में उपस्थित लोगों ने बताया कि सर्वे कार्यालय के कर्मचारी राज कुमार राम के बदले पवन कुमार चौधरी वर्षों से सर्वे कार्यालय का कार्य देखता था । स्त्रोत : <a href="http://www.pressnote.in/Bihar-News_147188.html">प्रेस नोट डोट इन</a> ०६.१२.११ </span></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-20728589247219724532011-11-26T07:28:00.000+05:302011-12-15T07:42:56.645+05:30पटवारी मनीष गुजराती के सहयोगी विष्णुकुमार सोनी रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"><b>भीलवाड़ा।</b> कृषि भूमि का नामांतरण खुलवाने के एवज में बुधवार को रिश्वत लेने पर बलांड पटवारी एवं उसके सहयोगी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। शाहपुरा तहसील कार्यालय के बाहर पकड़े गए इन आरोपियों से रिश्वत के साढ़े सात हजार रूपए बरामद कर लिए गए हैं। </span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;"></span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्रसिंह सिसोदिया ने बताया कि मुहलां (शाहपुरा) के दुर्गालाल कुम्हार से बलांड पटवारी की शिकायत मिली थी। परिवादी ने उन्हें बाया कि 23 दिसम्बर10 को 'प्रशासन गांवों के संग' अभियान में उसके पिता धन्नालाल, काका सुवालाल व नानालाल कुम्हार के नाम संयुक्त रूप से ढाई बीघा कृषि भूमि आवंटित हुई थी। तहसीलदार ने इस भूमि के नामांतरण खोलने के भी आदेश दिए थे। इस पर उसने बलांड पटवारी मनीष गुजराती से सम्पर्क किया। एक वर्ष से चक्कर लगवाने के बाद पटवारी ने 10 हजार रूपए रिश्वत की मांग की थी। </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: 28px;">ब्यूरो ने परिवादी दुर्गालाल को केमिकल लगे साढ़े हजार रूपए देकर पटवारी के पास भेजा था। जिसने उसे सुबह पौने बारह बजे शाहपुरा तहसील कार्यालय के बाहर बुलाया था। मोटरसाइकिल से वहां आया पटवारी अपने साथी शाहपुरा निवासी विष्णुकुमार सोनी के साथ मिला था। पटवारी ने दुर्गालाल से रिश्वत राशि सोनी को सौंपने को कहा। सोनी ने जैसे ही रूपए गिनकर मोटरसाइकिल की टंकी के आगे लगे बैग में रखे कि ब्यूरो टीम ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। जब्त मोटरसाइकिल विष्णु सोनी की बताई। स्त्रोत: <a href="http://www.pressnote.in/Bhilwara-News_145851.html">राजस्थानपत्रिका.कॉम,</a> २४.११.११ </span></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-32917282238328995822011-11-25T06:24:00.000+05:302011-11-25T06:24:36.246+05:30रिश्वतखोर-महिला पर्यवेक्षक तथा-सहायक अभियंता रंगे हाथ गिरफ्तार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>महिला पर्यवेक्षक रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार</b></div><div style="text-align: justify;"><b>ओबरी।</b> पोषाहार के बिल की राशि का भुगतान करने की एवज में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से रिश्वत लेते महिला पर्यवेक्षक को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के दल ने सोमवार को यहां सामुदायिक सभा भवन में रंगे हाथों गिरफ्तार किया। ब्यूरो के निरीक्षक बृजेन्द्रसिंह भाटी ने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्र पाडलिया की कार्यकर्ता माया रोत ने ब्यूरो में शिकायत की थी। </div><div style="text-align: justify;">इसमें बताया कि 11 नवम्बर को हरिजन बस्ती ओबरी में कार्यकर्ताओं की बैठक हुई थी। इसमें महिला पर्यवेक्षक मीरा सिंधी ने प्रार्थिया को तीन माह के पोषाहार का बिल पास होने की जानकारी दी। साथ ही डेढ़ हजार रूपए प्रतिमाह के हिसाब से तीन महीने के साढ़े चार हजार रूपए की मांग की। शिकायत पर ब्यूरो ने सत्यापन कराया तथा सोमवार को ओबरी में सेक्टर क्षेत्र की कार्यकर्ताओं व आशा सहयोगिनी की बैठक के दौरान टे्रप की योजना बनाई। </div><div style="text-align: justify;">बैठक के बाद पर्यवेक्षक ने प्रार्थिया से राशि के बारे में पूछा तथा सभा भवन से बाहर बुलाया। बाहर माया ने रंग लगे नोट पर्यवेक्षक को थमा दिए, जिसे उसने पर्स में रख लिए। इस बीच एसीबी का दल सरकारी गवाहों के साथ वहां पहुंच गया तथा पर्यवेक्षक को रंगें हाथों धर लिया। भाटी ने बताया कि महिला पर्यवेक्षक के खिलाफ प्रकरण दर्जकर उसे गिरफ्तार कर लिया है। मामले की छानबीन चल रही है। कर्रवाई के दौरान हैड कास्टेबल रतनसिंह, गजानन्द, वीर विक्रमसिंह, नारायणलाल आदि शामिल थे </div><div style="text-align: justify;">Source : राजस्थानपत्रिका.कॉम, 22.11.2011</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>रिश्वत लेते पीडब्लूडी का एई गिरफ्तार</b></div><div style="text-align: justify;"><b>देहरादून।</b> विजिलेंस टीम ने पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता (राजपत्रित अधिकारी) को टिहरी स्थित उसके घर से पचास हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। आरोपी के घर से नगद 9 लाख रुपये भी बरामद हुए हैं। साथ ही उसके छह बैंक खातों में लगभग दस लाख रुपये जमा हैं। इसके अलावा आरोपी ने चार माह पूर्व ही 40 लाख रुपये में सहस्त्रधारा क्षेत्र में प्लाट खरीदा था। महानिदेशक सतर्कता सत्व्रत ने विजिलेंस टीम के लिए दस हजार रुपये के इनाम की घोषणा की है। मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने भी टीम को बधाई दी है।</div><div style="text-align: justify;">पत्रकारों से बातचीत में विजिलेंस एसपी बीके जुयाल ने बताया कि बीते दिनों ठेकेदार भूपेंद्र सिंह रावत ने शिकायत की थी कि टिहरी के कुटठा रोड पर किए गए कार्य के भुगतान के लिए सहायक अभियंता प्रवीन कुमार कंडवाल ने 3 लाख 80 हजार रुपये रिश्वत की मांग की है। एडवांस में उसने 50000 रुपये घर लेकर आने की बात कही है। मामले की जांच में आरोप सही पाए गए। </div><div style="text-align: justify;">शासन से अनुमति लेने के बाद विजिलेंस ने जाल बिछाया। बृहस्पतिवार तड़के शिकायतकर्ता को 50000 रुपये के साथ सहायक अभियंता के टिहरी स्थित निवास (डी 6 एई) पर भेजा गया। जैसे ही सहायक अभियंता ने रिश्वत की राशि पकड़ी विजिलेंस टीम ने उसे दबोच लिया। आरोपी मूल रूप से हरिद्वार का रहने वाला है। विजिलेंस टीम देर शाम आरोपी के साथ सहस्त्रधारा स्थित उसके प्लाट की शिनाख्त के लिए भी मौके पर पहुंची। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>आठ साल की नौकरी में 60 लाख की काली कमाई</b></div><div style="text-align: justify;">घूस लेने के आरोप में पकड़े गए सहायक अभियंता ने महज आठ साल में 60 लाख रुपये से अधिक की नगदी बटोरी है। वर्ष 2004 में इलाहाबाद से पढ़ाई करने के बाद प्रवीण कुमार कंडवाल को सीधी भर्ती के जरिए सहायक अभियंता के पद पर टिहरी में नियुक्ति मिली थी। तब से लेकर अब तक वह यहीं तैनात था। खास बात यह है कि एई द्वारा ठेकेदार से मांगी गई रिश्वत कई हाथों में बंटनी थी। यही नहीं उसके घर से बरामद करीब नौ लाख रुपये भी रिश्वत के बताए गए हैं। विजिलेंस एसपी जुयाल ने पत्रकारों को बताया कि बरामद धन के बाबत वह कोई भी प्रमाण नहीं दिखा सका है। वहीं आरोपी ने मीडिया को बताया कि वह एक सप्ताह की छुट्टी बिताकर बीते बुधवार को ड्यूटी पर लौटा था। घर से बरामद धन के बाबत एई ने बताया कि यह सरकारी रुपये हैं।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>सब लेते हैं, दुर्भाग्य से मैं पकड़ा गया...</b></div><div style="text-align: justify;">आरोपी ने विजिलेंस को बताया कि हर काम के भुगतान के लिए रिश्वत ली जाती है। छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक का प्रतिशत में कमीशन बंधा है। उसने बताया कि जूनियर इंजीनियर- 5, सहायक अभियंता-3, अधिशासी अभियंता-2 और कार्यालय के नाम पर-2 प्रतिशत कमीशन कुल ठेके की राशि का लिया जाता है। उसने बताया कि यह काम तो खुलेआम होता है और ठेकेदार देते भी हैं। ‘दुर्भाग्य है कि मैं पकड़ा गया’।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>25 दिन में चार अफसर गिरफ्तार</b></div><div style="text-align: justify;">25 दिनों में विजिलेंस ने चार राजपत्रित अधिकारियों को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। विजिलेंस ने 31 अक्तूबर को रुद्र प्रयाग से सर्व शिक्षा अभियान के सहायक अभियंता सुशील चंद्र पांडे, 2 नवंबर को दून से ड्रग कंट्रोलर धर्म सिंह और 3 नवंबर को रुड़की से बाल विकास परियोजना अधिकारी मीना शाह को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>आरोपी के बैंक खाते</b></div><div style="text-align: justify;">आईसीआईसी बैंक खाता संख्या-002390150149- लगभग दो लाख रुपये।</div><div style="text-align: justify;">डाक खाना- खाता संख्या-44378750000- 75 हजार रुपये।</div><div style="text-align: justify;">एसबीआई टिहरी- खाता संख्या-10840622975- एक लाख 88 हजार रुपये </div><div style="text-align: justify;">एसबीआई टिहरी- खाता संख्या 10840592121- तीन लाख 57 हजार 459 रुपये। </div><div style="text-align: justify;">जिला सहकारी बैंक, टिहरी -खाता संख्या 14968- एक लाख 54 हजार 57 रुपये।</div><div style="text-align: justify;">एसबीआई दून-खाता संख्या-10901681163- एक लाख 124 रुपये।</div><div style="text-align: justify;">एसबीआई, मुजफ्फरनगर- 10880493510 - लगभग 2 लाख रुपये।</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-12883995705995840042011-11-21T11:12:00.001+05:302011-11-25T06:26:09.409+05:30बिहार में भ्रष्टाचार में लिप्त क्लर्क का मकान जब्त<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>पटना।</b> बिहार में आय से अधिक संपत्ति के मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी का मकान जब्त होने के बाद अब न्यायालय के आदेश के पर एक क्लर्क का मकान जब्त कर लिया गया है।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">आरोप है कि अनुकम्पा के आधार पर नौकरी पाए इस क्लर्क ने 14 वर्षों में ही अकूत संपत्ति जमा कर ली। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में निलम्बित कोषागार क्लर्क गिरीश कुमार के कदमकुआं स्थित दो मंजिला मकान को शनिवार शाम जब्त कर लिया गया जबकि शिवपुरी मुहल्ले में स्थित उसकी जमीन का पता लगाया जा रहा है। यह कारवाई बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम के तहत की गई। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">विशेष निगरानी दल की टीम ने वर्ष 2006 में गिरीश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया गया था। जांच में आय से अधिक 48 लाख रुपये की संपत्ति पाई गई। इसके बाद 16 अगस्त 2010 को विशेष निगरानी अदालत में मुकदमा दायर किया गया।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इस मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने 23 जून 2011 को पटना के जिलाधिकारी को संपत्ति जब्त करने का निर्देश दिया था। निगरानी न्यायालय के इस आदेश को आरोपी ने पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी परंतु 15 नवंबर को उच्च न्यायालय ने उसकी अपील को खारिज कर दिया।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">पटना जिलाधिकारी संजय कुमार ने रविवार को बताया कि मकान सील कर दिया गया है। मकान में रह रहे किराएदार भी मकान छोड़कर चले गए हैं। मकान जब्ती की सूचना सरकार को दे दी गई है।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">अनुकम्पा के आधार पर पटना कोषागार के क्लर्क के रूप में 1992 में गिरीश की नियुक्ति हुई थी। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व एक वरिष्ठ अधिकारी एस़ एस़ वर्मा के आलीशान मकान को जब्त कर लिया गया था, जिसमें अब एक सरकारी विद्यालय चल रहा है।-स्त्रोत : <a href="http://khabar.ibnlive.in.com/news/62864/3/21">आई बी एन खबर</a>, २०.११.११, १२.३२ PM</div></div>डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणाhttp://www.blogger.com/profile/15100263987556468191noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1886808196479250627.post-26235758557139886982011-11-20T07:57:00.000+05:302011-11-20T07:57:46.765+05:30घूस लिया और कर दिया स्कूल की रेटिंग में उलटफेर, मिली बीईईओ सुवालाल जाट को जेल!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><b>अजमेर.</b> भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत ने स्कूल क्रमोन्नत करने के एवज में तीन हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए किशनगढ़ के तत्कालीन बीईओसुवालाल जाट को दो साल कठोर कैद और 75 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। सुवालाल गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में है। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">चार्जशीट पेश होने के मात्र चार माह के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करते हुए न्यायाधीश कमल कुमार बागड़ी ने सुवालाल जाट को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7 और 13 के तहत दोषी माना है। मामले के अनुसार सूरजपुरा ग्राम निवासी बालमुकुंद वैष्णव की ताजपुरा गांव में महेश शिक्षण संस्थान के नाम से स्कूल है। वैष्णव ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में स्कूल को उच्च प्राथमिक तक क्रमोन्नत करने के लिए आवेदन किया था। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल क्रमोन्नत करने की जिम्मेदारी बीईईओ सुवालाल जाट को सौंपी। बीईओ जाट 10 मई को ताजपुरा पहुंचकर स्कूल का निरीक्षण किया और जांच रिपोर्ट भेजने के एवज में डेढ़ हजार रुपए घूस ली और दो दिन में जांच रिपोर्ट भेजने का आश्वासन दिया। रिपोर्ट नहीं भिजवाई तो वैष्णव ने जाट से संपर्क किया तो उसने 3 हजार रुपए और रिश्वत मांगी। इस पर वैष्णव ने एसीबी से शिकायत की। </div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">शिकायत का सत्यापन कर सुवालाल जाट को ट्रेप करने की कार्रवाई शुरू की गई। एएसपी भंवरसिंह नाथावत ने दल गठित किया। 17 मई को सुवालाल जाट ने वैष्णव को एक चाय की होटल पर रिश्वत की रकम देने के लिए बुलाया। एसीबी के दल ने जाट को वैष्णव से तीन हजार रुपए रिश्वत लेकर थैले में डालते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;"><b>पुलिसकर्मी होंगे पुरस्कृत </b></div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">एसीबी ने इस मामले को केस ऑफिसर स्कीम के तहत रखा था। 17 मई को सुवालाल जाट की गिरफ्तारी हुई और 13 जुलाई को चार्जशीट पेश कर दी गई। अदालत में चार माह चली सुनवाई के बाद सुवालाल को दोषी पाया गया। प्रकरण में एसीबी दल के शिवपाल, राजेश, नंदसिंह व अन्य ने प्रशंसनीय कार्य किया। एएसपी नाथावत ने बताया कि पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया जाएगा। प्रकरण में अभियोजन की ओर से एलआर चौधरी ने पैरवी की।</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">छह करोड़ से ज्यादा की संपत्ति : एसीबी ने सुवालाल जाट को गिरफ्तार करने के बाद उसके घर की तलाशी ली थी। इसमें करीब छह करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के कागजात बरामद हुए थे। इसमें मदनगंज किशनगढ़ में बीस से ज्यादा भूखंड और करीब 50 बीघा जमीन शामिल है। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला अलग से दर्ज किया गया था। इसमें एसीबी द्वारा जांच की जा रही है।-Source: Bhaskar News | Last Updated 04:47(18/11/11)</div></div>Unknownnoreply@blogger.com0