1.50 लाख करोड़ से अधिक के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में जुटी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने किसी जमाने में रेलवे के एक पार्सल बाबू को 50 पैसे की रिश्वत लेते पकड़ा था। यह और बात है कि यह घटना देश की आजादी से पहले यानी वर्ष 1943 की है और यह प्रकरण तत्कालीन अविभाजित भारत के क्वेटा शहर (वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा) में दर्ज किया गया था। यह दिलचस्प जानकारी बुधवार को सीबीआई के अधिकारियों ने शासकीय आट्र्स एंड कामर्स व बीएड कॉलेज में विशेष जागरुकता कैंपेन के दौरान दी।
भ्रष्टाचार मिटाने में हमारा सहयोग करें
सीबीआई के इंस्पेक्टर डॉ. एलएन मिश्रा ने बताया कि इस कैंपेन का उद्देश्य युवा वर्ग में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरुकता लाना है। युवा वर्ग समाज का सबसे जागरूक व सक्रिय वर्ग है इसलिए भ्रष्टाचारियों के पर्दाफाश में उनकी भूमिका उभारना जरूरी है। डॉ. मिश्रा के मुताबिक सीबीआई देश में इस तरह के कैंपेन पहले भी आयोजित कर चुकी है, लेकिन मध्यप्रदेश में इस तरह का प्रयास पहली बार हुआ है।
हम सबकी शिकायत सुनते हैं
इंस्पेक्टर डॉ. मिश्रा ने बताया कि रिश्वत के मामले में आम नागरिक की शिकायत पर तथा घोटाले व अन्य आपराधिक मामलों में राज्य सरकार, केंद्र सरकार, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा पर कार्रवाई करते हैं। मप्र में सीबीआई के दो कार्यालय हैं। इनमें से एक जबलपुर व दूसरा भोपाल में स्थित है। सागर संभाग सहित आसपास के कई जिले जबलपुर कार्यालय के अधीन आते हैं। कुछ माह पहले इसी कार्यालय के अमले ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सागर में पदस्थ ईपीएफ अधिकारी के निवास पर छापामार कार्रवाई की थी।
केवल केंद्र के विभागों की जांच करते हैं : सीबीआई के इस कैंपेन में शामिल एसआई अमित द्विवेदी के मुताबिक अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं होती है कि सीबीआई केवल केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कार्यालय, उपक्रम, संगठन जैसे सेना, रेलवे, डाक व टेलीकॉम, बैंक, इंश्योरेंस, इनकम टैक्स आदि के विरुद्ध आने वाली शिकायत पर कार्रवाई करती है। राज्य सरकार के अधीन विभागों में इस तरह की कार्रवाई लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) द्वारा की जाती है। श्री द्विवेदी के अनुसार सीबीआई, केंद्र से संबद्ध विभागों में रिश्वत के लेन-देन, आय से अधिक संपत्ति के अलावा भर्तियों में धांधली, अनियमिततापूर्ण निर्माण सहित रिश्वत की मांग या गबन करने वाले जनप्रतिनिधि, विदेश से आने वाली नकली करेंसी, देश के भगोड़े अपराधी को वापस लाने जैसे मामले में भी कार्रवाई करती है।
...मोबाइल नंबर 9425600091 पर शिकायत करें
सीबीआई के सब-इंस्पेक्टर आरपी सिंह ने बताया कि हमारी जांच एजेंसी में शिकायत दो तरीकों से की जा सकती है। इनमें पहला है मोबाइल नंबर 9425600091 पर और दूसरा लिखित शिकायत भेजकर। श्री सिंह के मुताबिक शिकायत मिलने के बाद हमारी विशेष जांच टीम पीडि़त व्यक्ति के आरोपों की सत्यता की जांच करती है। आरोप सही पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध ट्रेप या छापामार कार्रवाई की जाती है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में आवेदक की इच्छा के मुताबिक उसका नाम गोपनीय भी रखा जा सकता है।
....ऐसे पकड़ा जाता है रंगे हाथ
जागरुकता कैंपेन के आखिरी चरण में सीबीआई के अधिकारियों ने कॉलेज के छात्रों की मदद से रिश्वत लेने वाले व्यक्ति को पकडऩे की कार्रवाई का 'डेमोÓ पेश किया। अधिकारियों ने एक छात्र को रिश्वत मांगने वाले व दूसरे देने वाले की भूमिका दी। इसके बाद उन्होंने शिकायतकर्ता छात्र को 'फिनाफ्थलीनÓ नामक केमिकल लगे हुए 500-500 के नोट दिए। उसने यह नोट रिश्वत लेने वाले छात्र को दिए। इसके बाद उसके हाथ तुरंत 'सोडियम कार्बोनेटÓ के घोल के पानी से धुलाए गए तो वह गुलाबी हो गया। इस दौरान छात्रों की विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
सेना पर नजर रखना थी पहली जिम्मेदारी : सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में वर्ष 1941 में हुई थी। उस समय इस विभाग का काम केवल सेना व युद्ध के दौरान होने वाली अनियमितताओं को पकडऩा था। आगे चलकर वर्ष 1946 में उसे पृथक विभाग के रूप में मान्यता दी गई। 1963 में इसका केंद्रीय गृह विभाग में विलय कर दिया गया। जबलपुर में रेलवे में होने वाली अनियमितताओं के मद्देनजर 1942 में इसकी एक शाखा स्थापित हुई। सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान उनके संगठन में करीब 5800 अधिकारी कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं। इनमें से 50 फीसदी अन्य पुलिस संगठनों से प्रतिनियुक्ति पर आए हैं।
हम पर भी रहती है 'एसयूÓ की नजर : सीबीआई खुद भ्रष्टाचार तो नहीं कर रही इस पर कौन नजर रखता है? इस सवाल के जवाब में सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि उनके विभाग में एक 'स्पेशल यूनिटÓ यानी एसयू बनाई गई है। यह यूनिट सीबीआई के अधिकारियों के कहीं भी आने-जाने, लोगों से मिलने से लेकर अन्य कई तरीकों पर नजर रखती है। सीबीआई रिश्वत लेने के मामले में कुछ साल पहले अपने एक इंस्पेक्टर को ट्रेप कर चुकी है।
इस अवसर पर कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आशा लता दुबे, एनएसएस अधिकारी डॉ. अमर कुमार जैन, डॉ. विजयकुमार त्रिपाठी, डॉ. नीरजकुमार दुबे, डॉ. अमिताभ दुबे, डॉ. एसी जैन सहित अन्य स्टाफ मौजूद था।-स्त्रोत : नगर संवाददाता : त्न सागर, दैनिक भास्कर, 08/12/११
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